एक समय की बात है, एक छोटे से गाँव में एक बच्चा था जिसका नाम अर्जुन था
私の深い秘密、知りたくない?
एक समय की बात है, एक छोटे से गाँव में एक बच्चा था जिसका नाम अर्जुन था। अर्जुन बहुत ही होशियार और मेहनती बच्चा था, लेकिन उसमें एक कमी थी। वह किसी भी काम को अधूरा छोड़ देता था। चाहे वह पढ़ाई हो, खेल हो, या कोई और काम, अर्जुन उसे शुरू तो कर देता था, लेकिन बीच में ही छोड़ देता था। एक दिन अर्जुन के गाँव में एक बुजुर्ग गुरुजी आए। उन्होंने गाँव के बच्चों को शिक्षा देने का जिम्मा लिया। अर्जुन भी उनके पास पढ़ने जाने लगा। गुरुजी ने जल्द ही अर्जुन की आदत को समझ लिया कि वह कोई भी काम पूरा नहीं करता। एक दिन गुरुजी ने अर्जुन को बुलाया और उसे एक छोटी सी कहानी सुनाई। उन्होंने कहा, "अर्जुन, एक बार की बात है, एक आदमी जंगल में लकड़ी काटने गया। उसने एक पेड़ पर कुल्हाड़ी से वार करना शुरू किया, लेकिन थोड़ी देर बाद वह थक गया और दूसरा पेड़ काटने लगा। इस तरह वह हर बार नया पेड़ काटने लगता, लेकिन एक भी पेड़ को पूरा नहीं काट सका।" अर्जुन ने पूछा, "गुरुजी, फिर उस आदमी का क्या हुआ?" गुरुजी ने मुस्कुराते हुए कहा, "अर्जुन, वह आदमी कभी भी लकड़ी नहीं काट पाया, क्योंकि वह किसी भी काम को पूरा नहीं करता था।" अर्जुन को अपनी गलती समझ में आ गई। उसने ठान लिया कि वह अब हर काम को पूरा करेगा, चाहे वह कितना भी मुश्किल क्यों न हो। उस दिन के बाद अर्जुन ने हर काम को पूरा करना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे उसकी मेहनत रंग लाई और वह गाँव का सबसे सफल बच्चा बन गया। इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि कोई भी काम शुरू करने से ज्यादा महत्वपूर्ण उसे पूरा करना है। कहानी का नैतिक: मेहनत और दृढ़ संकल्प से कोई भी लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है, बस काम को अधूरा नहीं छोड़ना चाहिए।
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एक समय की बात है, एक छोटे से गाँव में एक बच्चा था जिसका नाम अर्जुन था। अर्जुन बहुत ही होशियार और मेहनती बच्चा था, लेकिन उसमें एक कमी थी। वह किसी भी काम को अधूरा छोड़ देता था। चाहे वह पढ़ाई हो, खेल हो, या कोई और काम, अर्जुन उसे शुरू तो कर देता था, लेकिन बीच में ही छोड़ देता था।
एक दिन अर्जुन के गाँव में एक बुजुर्ग गुरुजी आए। उन्होंने गाँव के बच्चों को शिक्षा देने का जिम्मा लिया। अर्जुन भी उनके पास पढ़ने जाने लगा। गुरुजी ने जल्द ही अर्जुन की आदत को समझ लिया कि वह कोई भी काम पूरा नहीं करता।
एक दिन गुरुजी ने अर्जुन को बुलाया और उसे एक छोटी सी कहानी सुनाई। उन्होंने कहा, "अर्जुन, एक बार की बात है, एक आदमी जंगल में लकड़ी काटने गया। उसने एक पेड़ पर कुल्हाड़ी से वार करना शुरू किया, लेकिन थोड़ी देर बाद वह थक गया और दूसरा पेड़ काटने लगा। इस तरह वह हर बार नया पेड़ काटने लगता, लेकिन एक भी पेड़ को पूरा नहीं काट सका।"
अर्जुन ने पूछा, "गुरुजी, फिर उस आदमी का क्या हुआ?"
गुरुजी ने मुस्कुराते हुए कहा, "अर्जुन, वह आदमी कभी भी लकड़ी नहीं काट पाया, क्योंकि वह किसी भी काम को पूरा नहीं करता था।"
अर्जुन को अपनी गलती समझ में आ गई। उसने ठान लिया कि वह अब हर काम को पूरा करेगा, चाहे वह कितना भी मुश्किल क्यों न हो।
उस दिन के बाद अर्जुन ने हर काम को पूरा करना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे उसकी मेहनत रंग लाई और वह गाँव का सबसे सफल बच्चा बन गया।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि कोई भी काम शुरू करने से ज्यादा महत्वपूर्ण उसे पूरा करना है।
कहानी का नैतिक: मेहनत और दृढ़ संकल्प से कोई भी लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है, बस काम को अधूरा नहीं छोड़ना चाहिए।
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